rahu grah ki shanti ke upay awam lakshan

जानें क्या है-rahu grah ki shanti ke upay awam lakshan

rahu grah ki shanti ke upay awam lakshan

राहु ग्रह कुंडली में यदि खराब स्थिति में हो तो व्यक्ति का जीवन में कई कठिनाइयों एवं परेशानियों से घिर जाता है। इसके लिए समय समय पर राहु ग्रह की शांति के उपाय करते रहना चाहिए और साथ हीं साथ इसके लक्षणों को भी जानने की आवश्यकता है। इससे इस ग्रह की कुप्रभाव से बचा जा सकता है। 

हमारे ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व है। इनमें से राहु और केतू का कोई अस्तित्व नही है अतः इन्हे ज्योतिष शास्त्र में छाया ग्रह भी कहा जाता है। राहु को सिर और केतू को धड़ कहा जाता है।

राहु एक तामसिक ग्रह है और साथ ही राहु के कारक तत्व में भी ऐसी वस्तुए है जो व्यक्ति को तामसिक प्रवृति या अशुभ मार्गो की ओर ले जाती है।

नवग्रहों में राहु ग्रह हमारी बूद्धि को भ्रमित करता है। इसे भ्रम उत्पन करने वाला ग्रह भी कहते है। लेकिन हमारे दिमाग में कुटिलता या जुगाड़ लगाने की जो प्रवृति होती है उसका कारक ग्रह भी राहु को ही माना जाता है। हालाकि राहु एक छाया ग्रह है लेकिन उसे एक पूर्ण ग्रह के समान ही माना जाता है।

पाप ग्रह की तुलना में इसे शनि से भी अधिक हानिकारक माना जाता है। इसकी महादशा 18 वर्षों की होती है।

वेदों के अनुसार राहु का अधिदेवता काल एवं प्रति अधिदेवता सर्प है और केतू का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रतिअधि देवता ब्रम्हा जी है। 

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राहु ग्रह के लक्षण (Symptoms of Rahu Grah)

राहु को सर्वाधिक पाप ग्रह माना जाता है। ये जिन भावों से संबंध बनाते है उसमें विच्छेद उत्पन्न करते है। यदि कुंडली में राहु अशुभ हो तो व्यक्ति को अपने जीवन काल में बहुत ही परेशानियाँ या कठनाइयों का सामना करना पड़ता है।

राहु एक पाप ग्रह है व्यक्ति पर केवल इसकी छाया पड़ने मात्र से हीं उसकी बुद्धि भ्रष्ट होने लगती है। झूठ बोलना, दूसरों को धोखा देना, शराब पीना, परस्त्री गमन करने की आदत आदि लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।

यदि कुंडली मे राहु आशुभ हो तो इसके महादशा की अवधि मे व्यक्ति को अनेक प्रकार के कष्ट, बदनामी एवं अपमान का सामना करना पड़ता है।

कुंडली में राहु अगर खराब स्थिति में है तो ऐसा देखा जाता है की जातक के हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। व्यक्ति हमेशा किसी न किसी बात को लेकर मानसिक तनाव में रहता है।

बात बात में अपना आपा खोने लगता है एवं परिवार में आपसी तालमेल में कमी होने लगती है। घर परिवार में बिना बात के कलह एवं वाद-विवाद होने लगते हैं। 

कुंडली में सूर्य, चंद्रमा, शनि और मंगल के साथ इनकी युति अत्याधिक अशुभता प्रदान करने वाली होती है।

शनि के साथ इनकी युति काफी अनिष्ठकारी होती है इसे लोग प्रेतबाधा के नाम से भी जानते हैं। मंगल एक पाप ग्रह माना जाता है इसके साथ इसकी युति अंगारक दोष उत्पन्न करती है और वही सूर्य और चन्द्रमा के साथ इसकी युति से ये सूर्य एवं चंद्रमा को ग्रहण लगा देते है और गुरु के साथ इसकी युति को चांडाल दोष कहते हैं बुध के साथ इसकी युति को जड़त्व दोष कहते हैं।

कुंडली के कुछ भावो में ये स्वर्था कारक हो जाते है और जातक को अपनी दशा, महादशा में विशेष लाभ प्रदान करने वाले होते है।

दशम भाव (मकर राशि) में ये विशेष रूप से कारक हो जाते है। छठवें एवम एकादश भाव में ये शुभफल दायी होती है और वही कर्क राशि में ये नीच के होते है। 

नीच के राहु अपनी दशा, महादशा में बहुत ही उतार चढ़ाव बढ़ा देते है। राहु कन्या राशि को अपनी राशि मानते है और ये यहाँ उच्च के माने जाते है। इसे भी पढ़ें : मेष राशि में राहु का राशि परिवर्तन जानें किन चार राशियों को राहु देंगे जबरदस्त लाभ  

राहु ग्रह की शांति के अचूक उपाय (Remedies for Rahu Grah)

राहु ग्रह यदि कुंडली में खराब स्थिति में है तो यह जातक को अनेक प्रकार के कष्ट एवं जीवन में उतार चढाव की स्थिति बना देता है।

और पढ़ें : राहु की महादशा में ग्रहों की अंतरदशा किस प्रकार का प्रभाव देते हैं 

हमारी कुंडली में राहु ग्रह की स्थिति क्या है। कुंडली में राहु दोष है या नही यह हम कैसे पहचानेगें तो आज मै आपको यही बताने की कोशिश करूगीं की यदि हमारे कुंडली में राहु दोष है तो हमें किस-किस प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ने लगेगे।  

* सबसे पहले तो जिनकी कुंडली में राहु ग्रह की स्थति ठीक नहीं है उन्हें भगवान शिव की शरण में आ जाना चाहिए। इससे उन्हें सारे दुखों से छुटकारा मिल जाता है क्योंकि राहु भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त माने जाते है। इसलिए कम से कम महीने में एक बार भगवान शिव के मंदिर में अभिषेक अवश्य करवानी चाहिए।

* हर शनिवार को चींटियों को गुड अवश्य खिलानी चाहिए।

* प्रतिदिन काले रंग के कुत्ते को तेल चुपड़ी रोटी खिलानी चाहिए।

* बुधवार के दिन कुष्ठ रोगियों को हरे रंग के फल और काले रंग के कंबल दान करने से भी राहु ग्रह की शांति होती है।

* गणेश जी की नित्य आराधना करने से भी लाभ मिलता है।

* नदी में प्रतिदिन लकड़ी का कोयला, शीशा और सूखा नारियल प्रवाहित करना चाहिए।

* प्रत्येक शनिवार शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलानी चाहिए।

* ऐसा माना जाता है की यदि चालीस दिनो तक बहती जलाशयो में छेद किया हुआ तांबे का सिक्का प्रवाहित किया जाय तो राहु ग्रह की शांति हो जाती है।

* कबूतरों को रोजाना दाना डालना चाहिए।

*  रसोई घर में भोजन करने से राहु जन्य पीड़ा उत्पन्न होती है इसलिए रसोई घर में भोजन कभी नहीं करनी चाहिए।

* कुष्ठ रोगिगों पर राहु की कृपा होती है अत: अगर इनकी सेवा की जाय तो भी राहु ग्रह की शांति होती है।

* अपने पास चाँदी या चन्दन का एक टुकड़ा अवश्य रखनी चाहिए| प्रतिदिन चन्दन का टीका लगानी चाहिए।

* गिलहरी को दाना डालने से भी राहु की शांति होती है।

* राहु ग्रह ससुराल पक्ष का कारक माना जाता है अतः इसकी शांति के लिए ससुराल पक्ष से संबंध मजबूत रखनी चाहिए।

* अगर राहु परेशान कर रहा है तो उस स्थिति में प्रतिदिन रात्रि के समय सोने से पहले गुनगुने पानी में नमक डालकर उससे हाथ-पैर धोकर फिर सोएं।

* राहु की दशा होने पर कुष्ट रोगियों की सेवा करनी चाहिए।

* गरीब परिवार की कन्या का विवाह करवानी चाहिए। 

* माँ सरस्वती की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए एवं उनके बीज मंत्रों का जाप करनी चाहिए।

* सात्विक भोजन करना चाहिए इससे भी राहु की पीड़ा शांत होती है।

* राहु ग्रह की शांति के लिए शुक्रवार को गोमेद रत्न धारण करनी चाहिए।

* शनिवार के दिन व्रत करने करने से राहू ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।

* दुर्गा चालीसा एवं हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करनी चाहिए।

* भगवान भैरव नाथ के मंदिर में प्रत्येक रविवार को तेल का दीपक जलानी चाहिए।

* राहु की दशा होने पर कुष्ट रोगियों की सेवा करनी चाहिए।

* गरीब परिवार की कन्या का विवाह करवानी चाहिए। 

* माँ सरस्वती की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए एवं उनके बीज मंत्रों का जाप करनी चाहिए।

* सात्विक भोजन करना चाहिए इससे भी राहु की पीड़ा शांत होती है।

* राहु ग्रह की शांति के लिए शुक्रवार को गोमेद रत्न धारण करनी चाहिए।

* शनिवार के दिन व्रत करने करने से राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है।

* दुर्गा चालीसा एवं हनुमान चालीसा का पाठ नित्य करनी चाहिए।

* राहु ग्रह की शांति के लिए भगवान भैरव नाथ जी का नित्य आराधना करनी चाहिए इनके मंदिर में प्रत्येक रविवार को सरसों तेल का दीपक जलाने से भी राहु ग्रह की शांति होती है।

* तामसिक भोजन या मदिरा पान नही करनी चाहिए। राहु ग्रह की शांति के लिए उसके बीज मंत्रों का जाप प्रतिदिन 18000 बार करना चाहिए इससे राहु के अशुभ प्रभाव में न्यूनता आती है।  

* बासी खाना खाने से बचना चाहिए और पीने के पानी के सफाई पर पूरा ध्यान देनी चाहिए।

* तामसिक भोजन या मदिरा पान नही करनी चाहिए। राहू ग्रह की शांति के लिए उसके बीज मंत्रों का जाप प्रतिदिन 18000 बार करना चाहिए इससे राहु के अशुभ प्रभाव में न्यूनता आती है।  

* बासी खाना खाने से बचना चाहिए और पीने के पानी के सफाई पर पूरा ध्यान देनी चाहिए।

मन्त्र जाप (Mantra Chanting)

राहु ग्रह के शांति के लिए “ॐ रां राहवे नमः” मन्त्र का नियमित जाप करें।

रत्न धारण (Wearing Gemstone)

नीलम (Blue Sapphire) रत्न को धारण करने से राहु ग्रह की शांति हो सकती है।

दान (Charity)

राहु की शांति के लिए सर्वप्रथम दान करें. जैसे कि सर्वधर्म प्रसाद, शनि अमावस्या को तिल दान, राहु के उपाय के लिए खाद्यान्न आदि।

व्रत (Fasting)

राहु के दिन, अमावस्या या राहु की महादशा में व्रत रखें।

कवच धारण (Wearing Talisman):

राहु के अशुभ प्रभावों से बचाव के लिए कवच धारण करें।

यज्ञ और पूजा (Havan and Worship)

राहु ग्रह के शांति के लिए यज्ञ और पूजा करें. शनिवार को शनिदेव की पूजा करना भी फायदेमंद हो सकता है

ग्रह शांति पूजा (Grah Shanti Puja)

पंडित या ज्योतिषी से संपर्क करके ग्रह शांति पूजा का आयोजन करें।

ध्यान और प्राणायाम (Meditation and Pranayama)

राहु के शांति के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करें।

ध्यान दें

उपर्युक्त सभी उपायों को करने से पहले एक विशेषज्ञ ज्योतिषी या पंडित से सलाह लेना सुरक्षित रहेगा।

योग्यता के हिसाब से किसी भी उपाय का आयोजन करें और नियमित रूप से करें।

इन उपायों के साथ-साथ, पूर्वजों की संतानों का कल्याण और समृद्धि के लिए सत्कर्मों का आचरण भी महत्वपूर्ण है।

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