Risk from weak immune system
एक स्वस्थ जीवन के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है। इम्यून सिस्टम हमारे शरीर में मौजूद टाक्सिन से लड़ने की क्षमता होती है।
यह हमारे शरीर को बाहरी संक्रमण बदलते मौसम से होने वाले बीमारियों, संक्रमण, एलर्जी इत्यादि से हमारे शरीर में जो इनसे लड़ने और इस प्रकार की बीमारियों से बचाकर रखने के लिए एक प्रकार की रक्षा प्रणाली होती है।
कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण हमारा शरीर बाहरी संक्रमणों जैसे- सर्दी खांसी वायरल फिबर, फंगल इन्फ़ैक्शन आदि से हमारे शरीर की रक्षा करने मे असमर्थ हो जाता है जिसके कारण हम अनेक प्रकार के छोटी-मोटी बीमारियों का शिकार होते रहते है।
आज के परिवेश मे जब पूरी दुनिया महामारी की चपेट में है ऐसे मे तो यह और भी आवश्यक हो जाता है की हम अपनी इम्यूनिटी का पूरा-पूरा ध्यान रखें।
जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है जिस कारण वे ज्यादा बीमार होते है। ये लोग बार बार रोगों के चपेट में आ जाते है।
इसलिए हमें अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना बहुत जरूरी होता है जिससे हमारे बीमार होने का जोखिम कम हो। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता से अनेक प्रकार की बीमारियों के होने की संभावना होती है।
हमारे शरीर में इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के कई कारण है। इसके के कमजोर होने से हमारे शरीर में संक्रमण और इम्मुनोडेफ़िसीएंस विकारो का खतरा बढ़ जाता है।
जिसके कारण हमारे शरीर में भिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होने लगते हैं।अपने आहार में सभी पौष्टिक तत्वों के समावेश के बावजूद अपनी दिनचर्या में हम कुछ ऐसी चीजों या आदतों को अपना लेते है जो हमारी इम्यूनिटी को कमजोर बना देती है।
जिसकी वजह से हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है।
आज हम उन्ही बातों पर चर्चा करेगें जिसकी वजह से हमारी इम्यून सिस्टम प्रभावित होती है।
संक्रामक बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा कमजोरी
इम्यून सिस्टम की कमजोरी के कारण, व्यक्ति को सामान्य संक्रामक बीमारियों जैसे बार-बार सर्दी-जुकाम, फफोले, गले की खराश और अन्य संक्रामक बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा में कमजोरी हो सकती है।
गंभीर संक्रामक बीमारियों का खतरा
कमजोर इम्यून सिस्टम के साथ, व्यक्ति को गंभीर संक्रामक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है, जैसे कि टीबी, हिपेटाइटिस, प्लेग, डेंगू, मलेरिया और अन्य।
ऑटोइम्यून रोगों का विकास
कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण, व्यक्ति को ऑटोइम्यून रोगों का जोखिम हो सकता है, जिसमें शरीर का खुद के ऊतकों के खिलाफ हमला होता है। उदाहरण के लिए, रीव्मेटॉयड अर्थराइटिस, लुपस और सोग्रेन्स सिंड्रोम इसी कैटेगरी में आते हैं।
कैंसर
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति को कैंसर के खिलाफ भी अधिक जोखिम होता है, क्योंकि उनका शरीर कैंसर को रोकने और उसके खिलाफ लड़ने की क्षमता कम होती है।
नींद का न आना (अनिद्रा)
तनाव
व्यक्ति लंबे समय से तनाव में रहता है तो भी उसका immune system कमजोर हो जाता है। तनाव के कारण हमारे शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियाँ हो जाती है। जैसे सिर दर्द, पाचन तंत्र में परेशानी, बालों का झड़ना, त्वचा संबंधी तकलीफ़े इत्यादि।
अत्याधिक तनाव के कारण व्यक्ति में एकाग्रता की कमी होने लगती है। डिप्रेशन एवं याददाश्त संबन्धित अनेकों प्रकार की बीमारियाँ होने की संभावना बनी रहती है।
इसलिए हमें हमेशा तनाव से जितना अधिक हो दूर रहना चाहिए। इससे हम अपने जीवन में अनेक प्रकार के परेशानियों और बीमारियो से से दूर रह सकेगे।
हमे अपनी दिनचर्या के कार्यो से समय निकाल कर कुछ समय आराम करनी चाहिए जिससे हम तनावमुक्त हो सकें।
पाचन संबन्धित समस्याए जैसे दस्त, उल्टी, गैस, सूजन, पेट मे दर्द आदि की शिकायत रहती है और हम जो भी भोजन खाते हैं उसे हमारा शरीर पचाने मे असमर्थ हो रहा हो तो यह हमारे कमजोर इम्यून सिस्टम की निशानी है।
यदि हमारा इम्यून सिस्टम ठीक से काम नहीं कर पा रहा है तो उसे हमारे द्वारा खाये गए भोजन को पचाने की शक्ति नहीं मिल पाती है जिसके कारण हमें इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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थकान
पर्याप्त नींद लेने के बाद भी यदि शरीर में थकावट रहती है और शरीर में खिंचाव महसूस होता है तो ये भी कमजोर इम्यून सिस्टम के लक्षण है। इससे शरीर की ऊर्जा का क्षय होता है।
वैसे विटामिन D, B12 तथा विटामिन सी आदि की कमी से, खून में आयरन की कमी भी थकान पैदा करते है।
खांसी-सर्दी
मौसमी संक्रमण जैसे निमोनिया, मेनिनजारतिस, ब्रोंकाइटिस, त्वचा संक्रमण आदि इसकी कमजोरी से होता है।
हवा में फैले वायरस जब हमारे नाक या गले के भीतरी अस्तर से जुड़ता है तो हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सफेद रक्त कोशिकाओं को भेज कर इन रोगाणुओ के खिलाफ हमारी रक्षा करती है।
यदि हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होगा तो हमारे गले में जल्द हीं इन्फ़ैकशन होने लगती है और हम अनेक रोगों के चपेट मे आ जाते हैं।
शिशुओं के विकास में रुकावट
कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण शिशुओं का विकास देर से होता है। जो भोजन हम शिशुओं को खिलाते है उनका पाचन कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण सही ढंग से नहीं हो पाता है जिससे उनके शरीर को उचित पोषण नहीं मिल पाता है।
हम जानते है की शिशुओं के विकास में पोषक तत्व अहम भूमिका निभाते हैं। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण उनके शरीर में इन सब पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास में अवरोध उत्पन्न होता है। also read : बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने वाली आहार जिससे बच्चे रहे स्वस्थ एवं निरोग
खान-पान
खाने-पीने की गलत आदतों की वजह भी हमारे इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है। आज कल हम घर में बने पोष्टिक आहार को छोड़ कर बाहर के खानों को अपने आहार में अधिक प्राथमिकता देते है जो पोषण की दृष्टिकोण से बिलकुल अच्छा नहीं है।
जंक फूड, पिज्जा, बर्गर आदि जंक फूड एवं प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त कैलोरी होती है जो स्वस्थ्य की दृष्टि से बिलकुल भी ठीक नहीं होता है इसकी वजह से हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है और हमारा शरीर बाहरी बीमारियो के विरूद्ध लड़ने मे असमर्थ्य हो जाता है।
इसलिए हमें चाहिए की हम अपने आहार में उन स्वस्थ्य खाद्य पदार्थो को शामिल करें जिससे हमारी इम्युनिटी मजबूत हो और हम कम बीमार पड़े।
बालों की समस्या
कमजोर इम्यून सिस्टम का असर हमारे बालों पर भी पड़ता है। बालों का झड़ना, रूखापन बाल असमये सफेद होना, गंजापन इत्यादि की समस्याए होती है।
हम जो भी आहार लेते है हमारा शरीर उसका अवशोषण सही ढंग से नहीं कर पाता है जिसके कारण हमारे बालों को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाती है जिससे बाल कमजोर और टूटने लगते है।
बालों को स्वस्थ्य एवं मजबूत बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के विटामिन्स एवं मिनरल्स बहुत जरूरी होते हैं। और पढ़ें : शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के घरेलू उपाय-Immunity Badhane ke upay in hindi
पर्यावरण
कई बार यह पर्यावरण से जुड़े कारणों की वजह से भी हो जाता है। पर्यावरण में पाये जाने वाले दूषित कणों के कारण भी हमारा शरीर बीमार पड़ने लगता है।
हवा में फैली कार्बन मोनो-ओक्साइड़, सल्फर डाइ-ओक्साइड़, क्लोरोफलोरोकार्बन, नाइट्रोजन ऑक्साइड धूल और मिट्टी के सूक्षम कण सांस द्वारा हमारे फेफड़े में पहुँच कर कई प्रकार के बीमारियों का कारण बनते है।
यदि हमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी तो हमारा शरीर इन दूषित कणों के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकेगा जिससे हम अनेकों प्रकार की बीमारियों के चपेट में आ जाएगें।
घाव का जल्दी नहीं भरना
घाव भरने पूरी प्रक्रिया हमारे इम्यून सिस्टम की स्वस्थ कोशिकाओं पर निर्भर करती है। अगर हमारी इम्यून सिस्टम कमजोर होगी तो हमारी त्वचा नई त्वचा नहीं बना पाएगी और इस कारण घाव को भरने मे अधिक समय लगेगा।
यदि हमारा घाव जल्दी नहीं भरता है तो इसका मतलब है की हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया है और यह हमें बाहरी संक्रमण से नहीं बचा पा रहा है।
वंशागत
कुछ लोगो में ये वंशागत भी होता है। अगर परिवार के किसी सदस्य को किसी प्रकार की बीमारी होती है तो इसे परिवार के दूसरे सदस्य को भी होने की संभावना होती है इसे वंशागत रोग भी कहते है।
इन जोखिमों से बचने के लिए, स्वस्थ जीवनशैली, पूर्ण और संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, नियमित वैक्सीनेशन, स्वच्छता का ध्यान और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है।
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